प्राचीन भारतीय इतिहास: एक ऐतिहासिक, राजनीतिक और सांस्कृतिक विवेचना
प्राचीन भारतीय इतिहास व स्वर्णिम अतीत: क्या भारत सोने की चिड़िया का देश था ?
प्राचीन भारतीय इतिहास हमें इसके सामाजिक, ऐतिहासिक, राजनीतिक और सांस्कृतिक पहलुओं से हमारा परिचय कराता है । यह इसके स्वर्णिम भारतीय इतिहास की जानकारी देता है । आइये हम अपना ज्ञानवर्धन करें ।
सारी दुनिया में जो कुल उत्पादन होता है उसका 43% उत्पादन अकेले भारत में होता है और दुनिया के बाकी 200 देशों में मिलाकर 57% उत्पादन होता है।” इसके बाद अँग्रेजी संसद में एक और आंकड़ा प्रस्तुत किया गया कि “सारी दुनिया के व्यापार में भारत का हिस्सा लगभग 33% है।” इसी तरह से एक और आंकड़ा भारत के बारे में अँग्रेजी संसद में दिया गया कि “सारी दुनिया की जो कुल आमदनी है, उस आमदनी का लगभग 27% हिस्सा अकेले भारत का है।” ये आंकड़ा अंग्रेजों द्वारा उनकी संसद में 1835 में और 1840 में भी दिया गया।
I have traveled across the length and breadth of India and have not seen one person who is a beggar, who is a thief, such wealth I have seen in this country, such high moral values, people of such caliber, that I do not think we would ever conquer this country, unless we break the very backbone of this nation, which is her spiritual and cultural heritage, and, therefore, I propose that we replace her old and ancient education system, her culture, for if the Indians think that all that is foreign and English is good and greater than their own, they will lose their self esteem, their native culture and they will become what we want them, a truly dominated nation.
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6. इसके बाद एक अंग्रेज़ है ‘विलियम वोर्ड’: वो कहता है कि “भारत में मलमल का उत्पादन इतना विलक्षण है,ये भारत के कारीगरों के हाथों का कमाल है,जब इस मलमल को घास पर बिछा दिया जाता है और उस पर ओस की कोई बूंद गिर जाती है तो वो दिखाई नहीं देती है क्योंकि ओस की बूंद में जितना पतला रंग होता है उतना ही हल्का वो कपड़ा होता है,इसलिए ओस की बूंद और कपड़ा आपस में मिल जाते हैं।
उसके बाद एक ‘जेम्स फ़्रेंकलिन’ नाम का अंग्रेज़ है जो धातुकर्मी विशेषज्ञ था वो कहता है कि: “भारत का स्टील दुनिया में सर्वश्रेष्ठ है। भारत के कारीगर स्टील को बनाने के लिए जो भट्टियाँ तैयार करते हैं वो दुनिया में कोई नही बना पाता। वो कहता है इंग्लैंड में लोहा बनाना तो हमने 1825 के बाद शुरू किया भारत में तो लोहा 10वीं शताब्दी से ही हजारों हजारों टन में बनता रहा है और दुनिया के देशों में बिकता रहा है। वो कहता है कि मैं 1764 में भारत से स्टील का एक नमूना ले के आया था, मैंने इंग्लैंड के सबसे बड़े विशेषज्ञ डॉ॰ स्कॉट को स्टील दिया था और उनको कहा था कि लंदन रॉयल सोसाइटी की तरफ से आप इसकी जांच कराइए। प्राचीन भारतीय इतिहास की विवेचना में ए बाते दर्ज हैं ।
डॉ॰ स्कॉट ने उस स्टील की जांच कराने के बाद कहा कि ये भारत का स्टील इतना अच्छा है कि सर्जरी के लिए बनाए जाने वाले सारे उपकरण इससे बनाए जा सकते हैं, जो दुनिया में किसी देश के पास उपलब्ध नहीं हैं। अंत में वो कहते हैं कि मुझे ऐसा लगता है कि भारत का ये स्टील हम पानी में भी डालकर रखे तो इसमे कभी जंग नही लगेगा क्योंकि इसकी क्वालिटी इतनी अच्छी है।
10. एक अंग्रेज़ है लेफ्टिनेंट कर्नल ए॰ वॉकर उसने भारत की शिपिंग इंडस्ट्री पर सबसे ज्यादा शोध किया है। वो कहता है कि “भारत का जो अदभूत लोहा/ स्टील है वो जहाज बनाने के काम में सबसे ज्यादा आता है। दुनिया में जहाज बनाने की सबसे पहली कला और तकनीकी भारत में ही विकसित हुई है और दुनिया के देशों ने पानी के जहाज बनाना भारत से सीखा है। फिर वो कहता है कि भारत इतना विशाल देश है जहां दो लाख गाँव हैं जो समुद्र के किनारे स्थापित हुआ माना जाता है इन सभी गाँव में जहाज बनाने का काम पिछले हजारों वर्षों से चलता है।
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इसके अलावा एक और अंग्रेज़ जी॰डबल्यू॰ लिटनर, कहता है कि मैंने भारत के उत्तरी इलाके का सर्वेक्षण किया है और मेरी रिपोर्ट कहती है कि भारत में 200 लोगों पर एक गुरुकुल चलता है।
प्राचीन भारतीय इतिहास की विवेचना करते हुवे इसी तरह थॉमस मुनरो कहता है कि दक्षिण भारत में 400 लोगों पर कम से कम एक गुरुकुल भारत में है।
Courtesy Reference: From a speech by Shri Rajiv Dixit
भारत सबसे ाागे था, है ाौर सबसे ाागे होगा ाौर रहेगा।