The Truth You Need To Know About Ram God for his Virtues in Hinduism
Ram God is known as ‘Maryada Purushottam’ or the Man of Idealism whereas Krishna is known as ‘Karmveer’ or the Man who have Faith in Work or the strong believer of ‘Karma’.
Lord Ram is cherished, worshiped and followed for his virtues in Hinduism. Lord Rama is God for Hindus. Every Hindu in his home possesses the religious book ‘Ramayana’ which was originally written by Guru Valmiki in Sanskrit and later on annotated by Tulasidas in the form of verses in Hindi.
There are various other epic writers too who have translated and re-written Ramayana in various other languages.
Ramayana delves upon the stories of Rama about his birth, about his youth, marriage, about his exile, fight with Ravana, about his rule in Ayodhya and about his children Lav and Kush.
Did you know that Lord Rama or Ram God who is the son of King Dasharath is NOT the only RAM? Before him also Ram existed. There are mentions of Bhagwan Ram in various other forms and even with the same name of Rama.
Ram was born as the eldest son of King Dasharath and mother Koushlyain Ayodhya, but before his incarnation, he has been worshiped and chanted in prayers of Rishis and public at large throughout the Bharat Bhumi.
Here in this article, we are going to deliberate upon this topic only with proofs from various scripts. This is the perpetual TRUTH that every Hindu should know the eternal form of our Ram God.
Vedas had clear mentions of Bhagwan Ram in various Vedas much before his incarnation as the son of King Dasharath.
रमन्ते योगिनः यस्मिन् स रामः।
अर्थात ‘जिसमें योगी लोगों का मन रमण करता है उसीको कहते हैं ‘राम’।’
Yogis and Rishis meditate and chant the mantras of ‘Ram-Ram’ which itself has a profound magical effect on human beings towards their path of salvation.
This mantra was practiced by his father King Dasharath, and forefathers like King Dilip, king Raghu etc. The mantra ‘Ram-Ram’ has been residing in the minds and body pores of Hindus since the time immemorial.
Story of Ram God
There is a famous story available to us in the form of mouth to mouth dispersion since the ancient times. It is talked by the rural folks in our local language Hindi. The story says that …..
एक राम घट-घट में बोले,
दूजो राम दशरथ घर डोले।
तीसर राम का सकल पसारा,
ब्रह्म राम है सबसे न्यारा।।
शिष्य ने कहाः “गुरुजी ! आपके उपर्युक्त कथनानुसार तो चार राम हुए, ऐसा कैसे संभव है ?”
तब गुरूः ने कहा वत्स थोड़ी साधना कर, जप-ध्यानादि कर, फिर समझ में आ जायेगा।”
शिष्य साधना करता है । साधना करके शिष्य की बुद्धि जब थोड़ी सूक्ष्म हुई, तब गुरु ने उससे कहाः
जीव राम घट-घट में बोले।
ईश राम दशरथ घर डोले।
बिंदु राम का सकल पसारा।
ब्रह्म राम है सबसे न्यारा।।
यह सुनकर शिष्य बोलाः “गुरुदेव ! जीव,ईश,बिंदु व ब्रह्म इस प्रकार भी तो राम चार ही हुए न ?”
तब गुरु ने सोचा कि साधना आदि करके इसकी मति थोड़ी सूक्ष्म तो हुई है लेकिन अभी भी इसे चार राम दिख रहे हैं।
Read Me:
What Every Hindu Ought To Know About Hinduism
Hinduism History denotes Hindus lived Several Thousands Years back
गुरु ने तब करूणा करके शिष्य को समझाया कि “वत्स ! देख, घड़े में आया हुआ आकाश,मठ में आया हुआ आकाश, मेघ में आया हुआ आकाश और उससे अलग व्यापक आकाश,ये चार दिखते हैं।
मगर अगर तीनों उपाधियों – घट,मठ,और मेघ को हटा दो तो चारों में आकाश तो एक का एक ही है।
इसी प्रकारः
वही राम घट-घट में बोले।
वही राम दशरथ घर डोले।
उसी राम का सकल पसारा।
वही राम है सबसे न्यारा।।
अर्थात रोम-रोम में रमने वाला चैतन्यतत्व वही का वही है, और उसी का नाम है चैतन्य राम” ….. !!!
राम रामेति रामेति रमे रामे मनोरमे। सहस्त्र नाम ततुल्यं राम नाम वरानने।।
जो राष्ट्र का मंगल करें, वही राम है। जो लोकमंगल की कामना करें, वही राम है। सबसे आदर्श और मर्यादित व्यक्तित्व ही श्रीराम है।
भगवान श्री राम का वंश
ब्रह्मा की उन्चालिसवी पीढ़ी में श्रीराम का जन्म हुआ ! हिंदू धर्म में राम को विष्णु का सातवाँ अवतार माना जाता है। वैवस्वत मनु के दस पुत्र थे – इल,इक्ष्वाकु,कुशनाम,अरिष्ट,धृष्ट,नरिष्यन्त, करुष,महाबली,शर्याति और पृषध।
राम का जन्म इक्ष्वाकु के कुल में हुआ था। जैन धर्म के तीर्थंकर निमि भी इसी कुल के थे। मनु के दूसरे पुत्र इक्ष्वाकु से विकुक्षि,निमि और दण्डक पुत्र उत्पन्न हुए।
इस तरह से यह वंश परम्परा चलते-चलते हरिश्चन्द्र,रोहित,वृष,बाहु और सगर तक पहुँची। इक्ष्वाकु प्राचीन कौशल देश के राजा थे और इनकी राजधानी अयोध्या थी।
रामायण के बालकांड में गुरु वशिष्ठजी द्वारा राम के कुल का वर्णन किया गया है जो इस प्रकार है ।
१ – ब्रह्माजी से मरीचि हुए.
२ – मरीचि के पुत्र कश्यप हुए.
३ – कश्यप के पुत्र विवस्वान थे.
४ – विवस्वान के वैवस्वत मनु हुए. ( वैवस्वत मनु के समय जल प्रलय हुआ था )
५ – वैवस्वतमनु के दस पुत्रों में से एक का नाम इक्ष्वाकु था। इक्ष्वाकु ने अयोध्या को अपनी राजधानी बनाया और इस प्रकार इक्ष्वाकु कुल की स्थापना की।
६ – इक्ष्वाकु के पुत्र कुक्षि हुए.
७ – कुक्षि के पुत्र का नाम विकुक्षि था.
८ – विकुक्षि के पुत्र बाण हुए.
९ – बाण के पुत्र अनरण्य हुए.
१०- अनरण्य से पृथु हुए.
११- पृथु से त्रिशंकु का जन्म हुआ.
१२- त्रिशंकु के पुत्र धुंधुमार हुए.
१३- धुन्धुमार के पुत्र का नाम युवनाश्व था.
१४- युवनाश्व के पुत्र मान्धाता हुए.
१५- मान्धाता से सुसन्धि का जन्म हुआ.
१६- सुसन्धि के दो पुत्र हुए- ध्रुवसन्धि एवं प्रसेनजित.
१७- ध्रुवसन्धि के पुत्र भरत हुए।
१८- भरत के पुत्र असित हुए.
१९- असित के पुत्र सगर हुए.
२०- सगर के पुत्र का नाम असमंज था.
२१- असमंज के पुत्र अंशुमान हुए.
२२- अंशुमान के पुत्र दिलीप हुए.
२३- दिलीप के पुत्र भगीरथ हुए। भगीरथ ने ही गंगा को पृथ्वी पर उतरा था. भगीरथ के पुत्र ककुत्स्थ थे.
२४- ककुत्स्थ के पुत्र रघु हुए. रघु के अत्यंत तेजस्वी और पराक्रमी नरेश होने के कारण उनके बाद इस वंश का नाम रघुवंश हो गया, तब राम के कुल को रघुकुल भी कहा जाता है।
२५- रघु के पुत्र प्रवृद्ध हुए.
२६- प्रवृद्ध के पुत्र शंखण थे.
२७- शंखण के पुत्र सुदर्शन हुए.
२८- सुदर्शन के पुत्र का नाम अग्निवर्ण था.
२९- अग्निवर्ण के पुत्र शीघ्रग हुए.
३०- शीघ्रग के पुत्र मरु हुए.
३१- मरु के पुत्र प्रशुश्रुक थे.
३२- प्रशुश्रुक के पुत्र अम्बरीष हुए.
३३- अम्बरीष के पुत्र का नाम नहुष था.
३४- नहुष के पुत्र ययाति हुए.
३५- ययाति के पुत्र नाभाग हुए.
३६- नाभाग के पुत्र का नाम अज था.
३७- अज के पुत्र दशरथ हुए.
३८- दशरथ के चार पुत्र राम,भरत,लक्ष्मण तथा शत्रुघ्न हुए. इस प्रकार ब्रह्मा की उन्चालिसवी पीढ़ी में श्रीराम का जन्म हुआ।
The above deliberation describes Ram God in human form along with his birth lineage.
The legend, logic, and hearsay about Ram God goes on to describe him in ‘Formless’ form and it is said that Ram God attained the form only when he took birth from mother Koushalya and father king Dashrath in the above-described lineage.
Birth of Ram God is celebrated in India as Shri Ramnavami day and assasination of Ravana as ‘Vijayadashmi day’.
ॐ श्री रामाय नमः
नमामि भक्त-वत्सलं, कृपालु-शील-कोमलम्।
भजामि ते पदाम्बुजं, अकामिनां स्व-धामदम्।
निकाम-श्याम-सुन्दरं, भवाम्बु-नाथ मन्दरम्।
प्रफुल्ल-कंज-लोचनं, मदादि-दोष-मोचनम्।
प्रलम्ब-बाहु-विक्रमं, प्रभो·प्रमेय-वैभवम्।
निषंग-चाप-सायकं, धरं त्रिलोक-नायकम।।
सदा सुमंगलमं, ॐ श्री रामाय नमः
Jayati Jai Jai to Ram God, Jai Jai to our beloved Bhagwan Ram.
Very excellent thoughts, thanks for your download and give the best direction to society