भारत का इतिहास: स्वर्णिम सभ्यता और शासन का विश्लेषण

भारत का इतिहास- स्वर्णिम काल का विश्लेषण

भारत का इतिहास दुनिया भर के विद्वानों का कौतुहल का केंद्र रहा है । इसका स्वर्णिम काल हम सब के गर्व का विषय रहा है ।

लगभग 200 से ज्यादा विद्वानों/ इतिहास विशेषज्ञों ने भारत का इतिहास विषय पर शोध किया है। इनमें से कुछ विद्वानों/ इतिहास विशेषज्ञों की बात आपके सामने रखूँगा।

ये सारे विद्वानों/ इतिहास विशेषज्ञ भारत से बाहर के हैं, कुछ अंग्रेज़ हैं, कुछ स्कॉटिश हैं, कुछ अमेरिकन हैं, कुछ फ्रेंच हैं, कुछ जर्मन हैं। ऐसे दुनिया के अलग अलग देशों के विद्वानों/ इतिहास विशेषज्ञों ने भारत का इतिहास सम्बंधित जो कुछ भी कहा और लिखा है उसकी जानकारी मुझे देनी है।

1.  सबसे पहले एक अंग्रेज़ जिसका नाम है ‘थॉमस बैबिंगटन मैकाले’, ये भारत में आया और करीब 17 साल यहाँ रहा। इन 17 वर्षों में उसने भारत का काफी प्रवास किया, पूर्व भारत, पश्चिम भारत, उत्तर भारत, दक्षिण भारत में गया।

अपने 17 साल के प्रवास के बाद वो इंग्लैंड गया और इंग्लैंड की पार्लियामेंट ‘हाउस ऑफ कोमेन्स’ में उसने 2 फ़रवरी 1835 को ब्रिटिश संसद में एक लंबा भाषण दिया। उसने कहा था :

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