वैदिक काल का समय गणना तन्त्र: प्राचीन भारत का उत्कृष्ट अन्वेषण

वैदिक काल की शिक्षा और वैज्ञानिक विशुद्ध भारतीय समय गणना तन्त्र

सम्पूर्ण विश्व का सबसे बड़ा और वैज्ञानिक समय गणना तन्त्र वैदिक काल का भारतीय समय गणना तन्त्र ही है। जो हमारे देश भारत में बना।

ये हमारा भारत जिस पर हमको गर्व है । ‘वैदिक काल’ या यूँ कहे तो  वैदिक सभ्यता जो  सिंधु सभ्यता के पतन के बाद  प्रकाश में आयी और जिसका वर्णन  वेदों में भी उद्धृत है, इस काल खंड में भारतीय समय गणना तंत्र का विकाश हुवा माना जाता है ।

 
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वैदिक काल का भारतीय समय गणना तन्त्र

■ क्रति = सैकन्ड का 34000 वाँ भाग
■ 1 त्रुति = सैकन्ड का 300 वाँ भाग
■ 2 त्रुति = 1 लव ,…
■ 1 लव = 1 क्षण
■ 30 क्षण = 1 विपल ,
■ 60 विपल = 1 पल
■ 60 पल = 1 घड़ी (24 मिनट ) ,
■ 2.5 घड़ी = 1 होरा (घन्टा )
■ 24 होरा = 1 दिवस (दिन या वार) ,
■ 7 दिवस = 1 सप्ताह
■ 4 सप्ताह = 1 माह ,
■ 2 माह = 1 ऋतू
■ 6 ऋतू = 1 वर्ष ,
■ 100 वर्ष = 1 शताब्दी
■ 10 शताब्दी = 1 सहस्राब्दी ,
■ 432 सहस्राब्दी = 1 युग
■ 2 युग = 1 द्वापर युग ,
■ 3 युग = 1 त्रैता युग ,
■ 4 युग = सतयुग
■ सतयुग + त्रेतायुग + द्वापरयुग + कलियुग = 1 महायुग
■ 76 महायुग = मनवन्तर ,
■ 1000 महायुग = 1 कल्प
■ 1 नित्य प्रलय = 1 महायुग (धरती पर जीवन अन्त और फिर आरम्भ )
■ 1 नैमितिका प्रलय = 1 कल्प ।(देवों का अन्त और जन्म )
■ महाकाल = 730 कल्प ।(ब्राह्मा का अन्त और जन्म )

वर्तमान भारत में अब इस बात की आवश्यकता है कि हम अपनी पहचान और उपलब्द्धिओं जैसे कि वैदिक काल का  भारतीय समय गणना तन्त्र को विश्व पटल पर रखें  और दुनियां को इनसे परिचित करवाएं ।

Reference: Burgess, Ebenezer Translation of the Sûrya-Siddhânta: A text-book of Hindu astronomy, with notes and an appendix Originally published: Journal of the American Oriental Society 6 (1860) 141–498 , p17.

वैदिक कालवैदिक काल में शिक्षा
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