गाय की हत्या एक संवैधानिक एवं धार्मिक पाप: सुप्रीम कोर्ट
गाय की हत्या एक संवैधानिक एवं धार्मिक पाप है, इस आशय का निर्णय हमारी सर्वोच्च न्यायिक संस्था सुप्रीम कोर्ट भी दे चुकी है ।
गाय की पृष्ठभूमि
पहला कुतर्क
तीसरा कुतर्क
3) भारत मे लोगो को रहने के लिए जमीन नहीं है, फिर गाय को कहाँ रखें ? भारत में गरीबी एक गंभीर समस्या है और लोगों के रहने के लिए घर या जगह कि ब्यवस्था करना सबसे पहला कर्तव्य ।
चौथा कुतर्क
पांचवा और अंतिम कुतर्क
5) सबसे खतरनाक कुतर्क जो कसाइयों की तरफ से दिया गया, वह यह है कि गाय की ह्त्या ( Cow Slaughter ) करना हमारे धर्म इस्लाम मे लिखा हुआ है । इस्लाम कहता है कि हम गायों की ह्त्या करें । यानि कि इस्लाम के अनुसार गाय की हत्या करना मुसलमानों का धार्मिक अधिकार है ।
मुसलमानो मे एक खास वर्ग होता है, जिन्हें कुरेशी समाज के नाम से जाना जाता है । सालों से इस वर्ग विशेष के लोग, जानवरों की हत्या करके उनके मांस को बेचने का ब्यवसाय करते आ रहे हैं । इस वर्ग विशेष के लोगों का ऐसे अजीब पेशे का इतिहास भारत में करीब ५०० साल से ७०० साल पीछे तक इंगित किया जा सकता है । तो गाय की हत्या ( Cow Slaughter ) के पछधर रहें विपकछ विशेष कर कुरैशी समाज द्वारा उपर्युक्त कुतर्क पेश किये गए ।
यानि कि एक साल का 3000 x 365 =10,95,000 रुपये ।
इस संबंद्ध में एक हास्य परिहास की कहानी प्रचलित है । कहते हैं कि राजीव भाई ने जज महोदय से कहा था कि आप अगर आज्ञा दें तो आपकी कार मे मेथेन गैस का सिलंडर लगवा देते हैं और आप खुद चला के संतुस्ट हो जाए । परिहास है कि जज ने इसकी इजाजत दे दी थी और राजीव भाई ने मीथेन गैस किट जज कि गाड़ी में लगवा दिया था जिससे जज साहब ने 3 महीने तक अपनी गाड़ी चलाई थी । और उन्होने कहा था कि “It is really excellent …” ।
राजीव भाई ने अपने जीरह के दरम्यान यह साबित कर दिया था कि मीथेन गैस के द्वारा मात्र 50 से 60 पैसे प्रति किलोमीटर का खर्चा आता है जबकि डीजल से आता है 4 रुपए प्रति किलो मीटर । मेथेन गैस से गाड़ी चले तो धुआँ बिलकुल नहीं निकलता, और प्रदुषण का खतरा नहीं रहता है जबकि डीजल से तो धुआँ ही धुआँ होता है । मेथेन से चलने वाली गाड़ी मे शोर बिलकुल नहीं होता । और डीजल से चले तो इतना शोर होता है कि कान फट जाएँ । तो ये सब तर्क जज साहब की भी समझ मे आ गया था और उन्होंने इसकी प्रशंशा भी की थी ।
हदीस मे तो कहते हैं कि साफ़ साफ़ लिखा हुआ है कि गाय की रक्षा करो क्यूंकि वो तुम्हारी रक्षा करती है । पेगंबर मुहमद साहब भी कहते हैं कि गाय अबोल जानवर है इसलिए उस पर दया करो । और एक जगह लिखा है गाय का कत्ल करोगे तो दोझक मे भी जमीन नहीं मिलेगी ।मतलब जहनुम मे भी जमीन नहीं मिलेगी ।
यह ६६ पन्ने का जजमेंट है, सुप्रीम कोर्ट ने इस जजमेंट के जरिये यह घोषणा की कि गाय को काटना एक धार्मिक पाप है और यह एक सांविधानिक पाप भी है। सुप्रीम कोर्ट ने अपने जजमेंट में आगे कहा है कि गौ रक्षा करना, सभी धर्मों को मानने वालों का तथा देश के प्रत्येक नागरिक का एक सांविधानिक कर्त्तव्य है । सरकार का तो यह कर्तव्य है ही नागरिकों का भी सांविधानिक कर्तव्य है । अब तक जो संविधानिक कर्तव्य थे जैसे कि, संविधान का पालन करना, राष्ट्रीय ध्वज का सम्मान करना, शहीदों का सम्मान करना, देश की एकता, अखंडता को बनाए रखना आदि आदि । सुप्रीम कोर्ट के इस जजमेंट के बाद अब से नागरिकों के कर्तव्य में, एक और कर्तव्य जुड़ गया है और वह है कि भारत में गौ की रक्षा करना ।
सुप्रीम कोर्ट के जजमेंट के आने के बाद हालाकि कि भारत के अधिकतर राज्यों द्वारा गाय की हत्या ( Cow Slaughter ) पर किसी न किसी तरह की रोक की कोशिशे जरूर कि गई है लेकिन अब भी पूर्वोत्तर के कुछ ऐसे राज्य हैं जहाँ गो हत्या रोकने के लिए किसी भी प्रकार का कोई कानून नहीं है और इन राज्यों में गो हत्या धड़ल्ले से होती है । इन राज्यों में केरल, पश्चिम बंगाल, अरुणांचल प्रदेश, मिजोरम, मेघालय, नागालैंड , त्रिपुरा और सिक्किम मुख्य हैं ।