प्रदूषण की समस्या और समाधान क्या प्राचीन भारतीय-विधा से संभव है?

सारा विश्व प्रदूषण की गंभीर समस्या से जूझ रहा है । पर्यावरण प्रदूषण या वायु प्रदूषण, जल प्रदूषण या फिर रासायनिक प्रदूषण कहीं भी शांति नहीं हैं। प्रदूषण की समस्या और समाधान आखिर क्या हो ?

भारत के कुछ शहरों का हाल तो बहुत ही बुरा है। अभी हाल ही  में भारत की राजधानी दिल्ली में प्रदूषण इतना बढ़ गया कि वहाँ इससे कुछ निजात पाने के लिए सरकार को आड़-एवेन के फोर्मुल्ला के तहत गाडिओं को चलाने का फैसला लेना पड़ा है। यह प्रदूषण की समस्या और समाधान पाने का एक तरीका निकाला गया था ।

प्रदूषण की समस्या और समाधान

भारत के दिल्ली और कलकता जैसे शहरों में तो बच्चों और बूढों के लिए शहर जैसे मौत की भट्टी ही बन गया है, जहाँ ब्यक्ति तिल तिल करके अपने जीवन के खुबसूरत दिन खोता जा रहा है। सवाल उठता है कि क्या ऐसे में  इस समस्या का कोई निदान नहीं ? प्रदूषण की समस्या और समाधान के लिए हमने अपने प्राचीन विधिओं का अध्ययन किया, और वहां पाया कि प्राचीन भारत में शुद्ध आवो-हवा के लिए हमारे पूर्वज बनो और पोधों का विशेष सहारा लेते थे। बन है, तो जीवन है, शायद इसी क्रम का पर्याय हैं। प्राचीन विधाओं के अध्ययन में हमने पाया कि बर्तमान परिश्थिति में कमसे कम अपने घरों के आस पास की आवो-हवा को पौधों के कुछ विशेष किस्मों की मदद से  घर की फुलवारी में या फिर बालकनी में ही प्रयोग करके काफी हद तक इसपर कण्ट्रोल पाया  जा सकता है । इसी क्रम में अतः निचे पौधों के उन विशेष किस्मों का विवरण दिया जा रहा है जिनके प्रयोग से घर की और घर के आस पास के वायु मंडल को काफी हद तक शुद्ध किया जा सकता है ।

 

एलोवेरा का पौधा:

Aluvera Plant

एलोवेरा अपने औषधीय गुणों के लिए प्राचीन भारत से ही काफी मशहूर रहा है । लेकिन बहुत कम लोग जानते हैं कि इसका एक विशेष उपयोग अपने आस पास के वायु मंडल को शुद्ध करने के लिए भी किया जाता है । जी हाँ, एलोवेरा जहाँ लगाया जाता है वहां यह आस पास की कार्बन डाई ऑक्साइड और फार्मलडाईड जैसे हवा में फैले विषैले पदार्थों के प्रदूषण को अवशोषित करके वातावरण में शुद्ध ऑक्सीजन की मात्रा को बढ़ा देता है । अतः घर के बालकोनी या फुलवारी में इस पौधे को अवश्य उगाना चाहिए । यह प्रदूषण की समस्या और समाधान का एक कम लागत का तरीका हो सकता है ।

लिली का पौधा:

Peace Lily Plant

इस पौधे को अंग्रेजी में “Peace Lily” or Spathiphyllum or “Mauna Loa” के नाम से भी जाना जाता है । यह पौधा वातावरण से विषैले पदार्थों को सोख लेने के लिए प्रख्यात है । हवा से फार्मलडाईड और ट्राईक्लोरोथीलींन को यह पौधा सोख लेता है और इस तरह वातावरण को इन दूषित पदार्थों से मुक्ति दिलाता है ।

अमेरिका की संस्था नासा भी इस पौधे को अपने घर के आस पास या फिर फुलवारी में लगाने की  वकालत करती है । नासा के अनुसार प्रत्येक रूम के अन्दर कमसेकम एक पौधा या फिर 80 वर्ग मीटर के छेत्र में 3-4 लिली के पौधों को अवश्य लगाना चाहिए जिससे कि प्रदूषण की समस्या पर कण्ट्रोल पाया जा सके।

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नाग फनी का पौधा:

Snake Plant

इस पौधे को अंग्रेजी में Snake Plant or SansevieriaTrifasciata or “Laurentii” के नाम से जाना जाता है । यह पौधा बहुत कम सूर्य की रौशनी मिलने पर भी जीवित रहता है और अपना भोजन बना लेता है । इस पौधे की सबसे बड़ी विशेषता यह है कि यह जहा उगता है वहाँ  बहुत ही प्रचुर मात्रा में ऑक्सीजन गैस का परित्याग करता है, जिससे वहां का वायुमंडल काफी स्वास्थ बर्धक बन जाता है । प्रदूषण की समस्या और समाधान का नागफनी पौधा भी एक अच्छा जरिया है ।

इभी लता:

Ivi Plant

इस वृक्षलता को अंग्रेजी में Ivy और Hedera Helix के नाम से जाना जाता है । यह पौधा वायु मंडल को प्रदूषण मुक्त करने के मामले में अद्भुत है । कहा जाता है कि इस पौधे के गमले को जहाँ लाया जाता है वहां की हवा को यह मात्र 8 घंटे के अन्दर ही शुद्ध कर देता है । यह हवा में फैले  विषैले पदार्थों की करीब 50% तक की मात्रा  को  तुरंत नष्ट कर देने में सछम  है ।

रबर का पौधा:

Ficus Plant

इस पौधे को अंग्रेजी में Ficus  or FicusElastica के नाम से भी जाना जाता है । यह पौधा खुद में भी थोडा विषैला है अतः इसे बच्चों की पहुँच से दूर ही रखना चाहिए । इस पौधे में भी वातावरण की प्रदूषित हवा को शुद्ध करने का गुण होता है ।

मकड़ पौधा:

Spider Plant

इस पौधे को Spider Plant or Chlorophytum Comosum के नाम से भी जाना जाता है । यह पौधा बहुत कम सूर्य की रौशनी में भी जीवित रह सकता है । यह पौधा वायु मंडल से प्रदूषित कण तथा कार्बन डाई ऑक्साइड और फार्मलडाईड आदि विषैले पदार्थों को अवशोषित करके उन्हें नष्ट कर देता है ।

उपर्युक्त छ किस्म के पौधे अगर ब्यक्ति अपनी फुलवारी या फिर बालकोनी में ही गमलों में लगा कर रखे तो कम से कम हर एक घर के आस पास की हवा को शुद्ध किया जा सकता है । यह प्रदूषण की समस्या और समाधान का एक नायाब तरीका सिद्ध हो सकता है।  इससे घरों में आजकल नए चलन में आ रहे एयर फ़िल्टर को लगाने की भी आवश्यकता नहीं पड़ेगी ।
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